माँ से कुछ सवाल
५ वर्ष की उम्र में एक बच्चे की माँ चलबसती है
बच्चा कई बार सपने में माँ को देखता है, बात करता है
एक रात बहुत समय बाद माँ सपने में आई
बच्चा अब बीस वर्ष का युवा है वो कुछ सवाल पुछता है?
माँ
वर्षो बाद तुम दिखी हो
तुम कैसी हो?
मै तुम्हारे स्नेह से बना
तुम्हारा ह्रदय हू
में कुछ और नही
तुम ही हू
मैं जानता हूँ कि
तुम सब जानती हो
मैं उलझ जाता हूँ
तुम सब पहचानती हो
आज मेरे कुछ सवाल है
उनका जवाब लिख दो
जिससे मैं कुछ सुलझ जाऊ
वक़्त की रेत्त पर चल पाऊ
तुम कहती थी
एक जो इश्वर है ऊपर है
सबसे ताकतवर है
वो शुभ है सुन्दर है
दया करूणा का सागर है
हर जर्रे मे उसकी मर्जी है
वो ही सबका मालिक है
पर माँ वो कैसा मालिक है
जब लाखो लोग तरसते है
बहुतों के घर जलते है
जब बिटिया गर्भ में मरती है
बच्चा भूखा सो जाता है
तब ये ईश्वर क्या करता है?
माँ, क्या ईश्वर हमारे नेताओ की तरह है बहुत ब्यस्त रहता है?
जब से तुम गयी हो
न जाने क्या पढ़ रहा हूँ
डिग्रिया जुटाई है
इम्तिहान देता हूँ
वो ही सवाल बनाते है
वो ही जवाब बताते है
वो ही नंबर देते है
कभी नंबर कम आ गया तो,
क्यों लोग मुझसे पूछते है कि ऐसा क्यों हुआ,
माँ
.इन्सान ने जो कुछ बनाया है उसमे खून पसीना लगाया है
तो कोई बिल गेट्स कोई दिहाडी मजदुर क्यों है?
मजदुर इतना मजबूर क्यों है?
उसका ही बच्चा बाल मजदूर क्यों है
माँ
सियासत एक जरिया है
इंसान मंजिल है, मुक्कदर है
फिर सियासत के अखाडो में
जंग के नगाडो में
जीते कोई इंसान हारता क्यों है?
माँ इंसान दफन क्यों है,
वो इतना तंग क्यों है
तुम बताओ माँ
क्यों न्याय बिलखता रहता है?
सत्ता क्यों तांडव करती है?
क्यों प्रेम ठोकरे खाता है?
नफरत उडान क्यों भरती है?
बेटा! तुम्हारे सवालो में मेरा मन खो गया है
पर अब जाने का वक़्त हो गया है
मैं तुम्हारे सवालो से खुश हूँ
क्यों कि ये बताते है कि तुम जिन्दा हो
अपनी चौहद्दी से बहार झाकते हो
बहुतेरे खामोश हो गए है
आखे बंद करके सो गए है
तुन अपने सवालो के खुद ही जवाब लिखना
लिख कर मिटाना फिर नये जवाब गढ़ना
कोई उत्तर अंतिम नहीं है
कोई प्रश्न पहला नही है
मेरा प्रेम तुम्हारे साथ में है
इसलिए हर जवाब का धागा
तुम्हारे हाथ मे है
लेखक
निखिल पाण्डेय
( दिल्ली विश्व बिदयालय बी० ए० भाग-२)
Friday, July 31, 2009
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